पुण्य के प्रताप से पाप का घडा फोड दो ।
आत्मा के जौहरी बन काँच कचरा छोड दो ।।
हो जायेगा शीघ्र ही कल्याण तुम्हारा ।
गर तारण गुरु से अपना नाता जोड लो।
गर तारण गुरु से अपना नाता जोड लो ।

भजन

अरिहंतो की शरण सिद्धो की शरण आचार्यो की शरण उपाध्यायो की शरण
वीतरागियो के बिन जीवन व्यर्थ गवाॅओंगे ।
अरिहंतो को जपने से,
सिद्धो को जपने से
पाप सब हमरे कटते है
लेकिन उनके आचरण से सिद्ध पद पाओगे---सिद्ध पद पाओगे ।
वीतरागियों के बिन- ----------------

अरमानो के पीछे तू,
जीवन भर है भागा ।
कुदेवो को मनाने मे,
सारा जीवन है गंवाया ।।
गया कुगरु की शरण,
उनसे किये कई जतन ।
भाग्य वश काम बन गये तो,
संसार बढाते है ।।
पर उनकी शरण से तुम,
भव भव महादुख पाओगे ।
वीतरागियों के बिन- -----------

गुरुवर कह रहे है,
सिद्ध समान हो तुम ।
स्वानुभूति मे ही रहना,
जो कल्याण चाहते हो तुम ।।
ऐसे ही ध्याऊंगा मे,
तारण की शरण जाऊंगा मै ।
इनके द्वार जो आते है,
उनकी तकदीर बदलती है ।।
अरे आत्म ध्यान से तुम,
जीवन सफल बनाओगे।
वीतरागियो के बिन- -------------

तुमने शरण मे ले लिया तो,
जीवन का फल पाऊंगा मै ।
आतम ध्यान लगाकर,
शिवपुर को जाऊंगा मै।
सच्चा सुख शिवपुर की राह मे है,

मिलती शान्ति तेरी छांव मे है।।
तेरी शरण मे रहते है ,
तारण पथ पर चलते है।
इनकी शरण मे ही "अंतिम ",
भव भव सफल बनाओगे ।
वीतरागियों के बिन जीवन- -------

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