संसार दुखो का नाथ है ,
लगता है हमको डर ।
भव भव के दुख मिटाऊ ,
कुछ ऐसी बात कर ।
डरने वाली क्या बात है,
तारण का है ये दर ।
आजा इनके द्वारे पे ,
आतम का ध्यान धर ।


जो जपता है इनको हर पल ,
सुखी रहता है वह हर क्षण हर पल ।
ज्ञान हमको दे दो मै यही माॅगता हू ।
अज्ञान की राहो मे हम कब से सोये है ।
जिसको ढूढ रहा था जग मे ,
वो मिला मेरे अंदर ।
अज्ञान की राहो मे लगता है हमको डर -------- भव भव के -------------


अब मिले गुरु तारण है ,मिट जायेगा मेरा आवागमन है ।
तारण पथ पर लग जाऊ ---- लग जा ----
तेरे द्वार पे आया ------आजा ---
पहले भी द्वार पे आया था ,
पर विषयों मे खोया था ।
अब गुरू तारण ने समझाया ,
क्यो कर्मो को वोया था ।
अब जब तक ना मुक्ति मिले ,
ना छोडना "अंतिम" ये दर -------------- संसार दुखो
भव भव के दुख ---------

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