इक पल का भरोसा नही, कुछ यतन कीजिये ।
गुरु तारण के दर पे ,भजन कीजिये ।।
जिनवाणी सुनने को मिलती यहाँ ।
जो जिनवाणी सुनाये ऐसा द्वार है कहाँ।।
अपने आप मेअब तो रमन कीजिये ।
गुरु तारण के -------------------

मानव तन है मिला ये ना बेकार हो ।
ऐसा पुरुषार्थ करो जिससे उद्धार हो ।।
विषय भोगो मे अब ना रमन कीजिये ।
गुरु तारण के ------------------

भेद ज्ञान को ह्रदय से अपनाइये ।
दूर रहकर ना इससे यू दुख पाइये।।
अपने नरभव यू ना पतन कीजिये।
गुरु तारण के दर- -----------------

धन को इतना कमाया तिजोरियो को भरा ।
अपने लिये क्या है कुछ तो बता दे जरा ।।
पर के लिये यू ना भव भव भ्रमण कीजिए ।
गुरु तारण के दर---------------
इक पल का भरोसा नही कुछ यतन कीजिये ।
गुरु तारण के दर पे भजन कीजिये ।।

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