(मानव तन की आत्मा को सलाह)

जनाजा मेरा उठने से पहले ,
ढूंड नेना ठिकाना तुम।
चारो गतियों मे अब ना जाना ,
मुक्ति श्री को पाना तुम ।।
जनाजा ----------------

अपने को तुम जान लेना ,
शुद्धातम को भी पहचान लेना ।
सिद्ध स्वरूपी हो तुम,
इस कथन को भी मान लेना ।।
नही करना तुम मेरा मेरी ,
अपने मेही समा जाना तुम ।
चारो गतियों -----------------
जनाजा ----------------------

शुभ सौभाग्य तेरा खिला है,
जो ये तन तुझको मिला है ।
मुक्तिपुर जाने का तो ,
इससे ही सिल सिला है ।।
तेरे साथ है संयोग मेरा ,
इसे यू ना गवाँ देना तुम ।
चारो गतियों-----------

संयम तप ही मँजा देगा ,
मुक्ति मारग मे लगा देगा ।
है दश धर्म जो तेरे ,
उनसे ही तेरा उद्धार होगा ।।
और कुछ भी नही है तेरा ,
उनको ही अपनाना तुम ।
चारो गतियों----------------

जाने किस्मत जो मैने किया है ,
ये हमारे कर्मो का ही सिला है ।
हमे अपना मानकर ही ,
तू अभी तक यहा पर रूला है।।
किसके साथ मे मै हू जाती,
"अंतिम "समय ना गँवाना तुम ।
चारो गतियों ---------------
जनाजा मेरा ---------------

TOP