तर्ज - ये देश है वीर जवानो का, अलवेलो का मस्तानो का

ये द्वार है माँ जिनवाणी का ,
सहारा जग के प्राणी का ।
इस द्वार पे यारो तुम रहना ,
ये है गुरुवर का कहना ।।

यहाँ वेदी पे वाणी वीरो,
जो राह बताए महावीरो की ।
यहाँ सिद्धो के होते दर्शन है,
होता जिनवाणी मंथन है ।।
स्वाध्याय से स्व ध्यान करे हम,
शुद्धातम का ध्यान धरे हम ।
यहाँ भजन है होते भक्ति मे ,
भक्ति होती है मस्ती मे ।।
ये द्वार है --------------


यहाँ वसता है भगवन कण कण मे,
यहाँ दर्शन है होते क्षण क्षण मे ।
शिखरो पे केशरिया लहराता है ,
जिन शासन का मान बढाता है ।।
गुरु तारण के भक्त है हम ,
जिन श्रद्धान मे शक्त है हम।
यहाँ तीन छत्र ये बतलाते है,
जिनवाणी से तीन लोक सुख पाते है।।
हम "अंतिम" ये भायें,
भव भव मे द्वार यही पायें ।
ये द्वार है ----------------------

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