तरà¥à¤œ - मेरे देश की धरती सोना उगले
जिनदेव की वाणी होऽऽ
जिनदेव की वाणी सà¥à¤¨à¤•à¥‡ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ पावे मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤°à¤¾à¤¨à¥€ ।
जिनदेव की वाणी-------------
समवशरण देवेंदà¥à¤° लोग ,
जब जिनवर का लगाते है ।
फिर जिनवर की वाणी खिरती,
सब अपनी à¤à¤¾à¤·à¤¾ मे पाते है ।।
वहीं गौतम गणधर जी विराजे,
नय गà¥à¤°à¤‚थ विà¤à¤¾à¤— रचे ।
सà¥à¤¨à¤•à¤° के जिनवर की वाणी,
यूठलगे ढोल शहनाई बजे ।।
जिनदेव की वाणी -----------------
सà¥à¤¨à¤•à¤° के जिनवर की वाणी ,
हà¥à¤°à¤¦à¤¯ कमल खिल जाते है ।
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना पूजें इस वाणी को ,
जिससे मोकà¥à¤· लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ पाते है।।
शà¥à¤°à¥à¤°à¤¾à¤µà¤• कà¥à¤² मे जो जनà¥à¤®à¤¾ ,
उसको ही मिला है जà¥à¤žà¤¾à¤¨ तेरा।
यहाठजाति पाति का à¤à¥‡à¤¦ नहीं,
सब पे है माठये उपकार तेरा।।
जिनदेव की वाणी ----------------
यह à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¥‚मि धनà¥à¤¯ हà¥à¤ˆ,
जहाठचौवीस तीरà¥à¤¥à¤‚कर जनà¥à¤® लिये।
कà¥à¤‚द कà¥à¤‚द योगेनà¥à¤¦à¥ देवादि ,
अनेक महान संत हà¥à¤¯à¥‡ ।।
जिनधरà¥à¤® को जिसने जान लिया ,
à¤à¤µà¤µà¤¨ को उसने छोड दिया ।
जिनवाणी की शरण मे रहना "अंतिम ",
यही गà¥à¤°à¥‚ तारण ने संदेश दिया ।।
जिनदेव की वाणी ----------------