तर्ज - मेरा रंग दे बसंती चोला

जिन धर्म बडा अनमोला ,
हो जिन धर्म बडा अनमोला ।
जिन धर्म बडा -----------------


इस धर्म को बताया आदि देव ने,
राज पाट को त्याग कर ।
बांकि तीर्थंकरो ने ,
रखा इसे संभाल कर ।।
कुंद-कुंद योगेंदु देव ने,
इसी का मर्म टटोला ।
जिन धर्म बडा--------------


शिवपुर की वो राह बता गये ,
शुद्धातम को जानकर ।
तारण तरण गुरु ने बताया,
अपने को पहचान कर ।।
आज इसी की महिमा को सुनके,
बच्चा- बच्चा बोला ।
जिन धर्म बडा ---------------------


जब जन्म मिले जिन धर्म मिले,
बस यही अरमान है ।
उर तारण गुरु से संत मिले,
जो बना देते भगवान है ।।
एक बार इस धर्म पे चलदे,
"अंतिम " मिला है मानव चोला ।
जिन धर्म बडा -----------------

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