तर्ज - तुम दिल की धड़कन मे रहते हो

तुम खुद ही भगवन हो, गुरु तारण कहते है ।
इस देहालय मे ही तो,आतम देव रहते है ।।
अपने मे आ जाओ
अपने मे खो जाओ
तुम खुद ही-----------------


पर को अपना मान रहा,
उसमे ही तू खोया रहा । -2
आम का फल खाने को ,
बीज बबूल के बोल रहा ।।
गर भव सागर तरना है,
आतम का हित करना ।
अपने मे आ जाओ,
अपने मे खो जाओ ।।
तुम खुद ही ----------------------


देर ना कर दुनिया से डर,
पाप कषायो से बच कर । -2
राग द्वेष को त्याग दे तू ,
ह्रदय मे सम्यक दर्शन धर।।
ढूंढ रहा है तू जिसको ,
बता रहे गुरुवर उसको ।
अपने मे आ जाओ ,
अपने मे खो जाओ ।।
तुम खुद ही -------------------


जीव जुदा है पुदगल जुदा ,
जिनवाणी ये कहती है । - 2
आत्म स्वरुप को जान लो रे,
ज्ञान की गंगा बहती है ।
सुन ले रे ओ चेतन,
तू खुद ही है भगवन ।
"अंतिम "अपने मे आ जाओ,
अपने मे खो जाओ ।।
तुम खुद ही-------------

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