तर्ज - हमको हमीं से चुरा लो

वीरा प्रभु को तुम ध्या लो,
मुक्ति का मारग बना लो ।
तारण तरण ये कहायें,
शिवपुर की वो राह बतायें।।
ध्यान इनका हृदय मे लगा लो ,
वीरा प्रभु को -------------------


आतम दर्श करा दो ,
मुक्ति का मार्ग बता दो ।
जिस पथ पर चले तुम,
वो पथ बतला दो।।
आतम दर्श करा दो तो
हम उसी मे रम जाये ।
मुक्ति पथ वतलादो तो,
हम मुक्ति को पा जाये।
रत्नात्रय को जो साधे,
वो मुक्ति को है पाते ।
तुम अपने मे रम जाओ ,
वीरा प्रभु ----------------


भावना ये भाता है तेरे गुण गायेगे।
तेरे द्वार पे आकर के हम तो तर जायेगे ।।
पंच महाव्रत धारु यह शक्ति हमे दे दो।
तेरे गुण लाँऊ अपने मे।
ऐसी भक्ति हमे दे दो ।।
जाॅऊ मै पावापुर जी ,
अब लगन लगी शिवपुर की।
अध्यात्म की उमंग जगाओ।
वीरा प्रभु को --------------

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