तर्ज - साजन साजन ओ मेरे साजन

तारन तारन तारन - - - - -
ओ मेरे तारन तारन - - 2
तेरे कारन लाखो ने किया सम्यक धारन ।
तारन तारन - - - -
भव दुख से जब जी घबराया ,
छोड के जग तेरी शरण मे आया ।
तारन तारन - - - - -
सुनकर के तेरी वाणी ,
हमने सुख चैन है पाया ।
भव दुख से - - - - - -
तारन तारन - - - - - -


जो तेरे द्वार पे आता है ,
भव दुख को मिटाता है ।
तेरे सिवा हमको ,
कोई ओर ना भाता है ।
इक तू ही है गुरुवर ,
जो जिनवाणी सुनाता है ।
भेदज्ञान के सिवा ना-
तुमने कुछ और बताया ।
भव दुख से - - - - - -
तारन तारन - - - - - -


तेरे द्वार पे आने से, मिलती है मंजिल ।
शिवपुर जाने के ,बनते है काबिल ।।
तेरा नाम लेने से मिटती है हर मुश्किल।
छूट जाये चौरासी से"अंतिम",
जो तेरी शरण मे आया ।।
भव दुख से - - - - - -
तारन तारन - - - - - -

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