जहाँ डाल डाल पर सोने की चिडिया

जिसने जिनवाणी का संदेश दिया,
है लाखो को उवारा ।
है उनको नमन हमारा - 2
तारण तरण नाम है जिनका,
भव दुखियो का सहारा ।।
है उनको नमन हमारा - 2
जिसने जिनवाणी - - - - - - - -

धन्य हुई पुष्पावती नगरी ,
जहाँ पे इसने जन्म लिया ।
धन्य हुये पिता गढ़ाशाह जी,
माता वीरश्री को धन्य किया ।।
भव सागर मे पडी नाव का ,
तू ही है खेवन हारा ।
है तुझको नमन हमारा - 2

शिक्षा-दिक्षा हुई सेमरखेडी मे ,
वहीं वनो मे विहार किया ।
तारण गिरि पर कर घोर तपस्या ,
समवशरण का दर्श किया ।
श्री वीर प्रभु की वाणी को ,
है जिसने हृदय मे धारा ।
है उनको नमन हमारा -2

नगर मल्लाहगढ के निकट ,
बहती वेतवा प्यारी ।
उसी नदी मे गुरुवर ने ,
है अतिशय दिखाया भारी ।
अगम् नदी मे टापू बने है ,
जिन्हे देख रहा जग सारा ।
है उनको नमन हमारा -2

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