अब गतियों में नाहीं रुलेंगे, निजानंद पान करेंगे।


अब भव भव का नाश करेंगें, निजानंद पान करेंगे।

खुद की खुद में ही खोज करेंगें, निजानंद पान करेंगे ॥ अब..


मैं मुझ में पर पर में रहता, निज रस के आनंद में रहता,

अब केवल ज्ञान करेंगें, निजानंद पान करेंगे ॥ अब..


मैं ज्ञायक ज्ञायक ही न जाना, मैं तो हूं बस सिद्ध के समाना,

अब सिद्धों के बीच रहेंगें, निजानंद पान करेंगे ॥ अब..

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