जय तारण तरण की कहना ,
भव सागर से पार उतरना ।
तारण तरण अरिहंत प्रभु जी,
मुक्ति के कारण अरिहंत प्रभु जी।
अरिहंतो के मारग पर चलना ।
जय तारण- ---------------
तारण तरण श्री सिद्ध प्रभु जी ,
पहचान कर लो तुम भी स्वयं की।
भाव सहित करो वन्दना ।
जय तारण- ------------------
तारण तरण आचार्य उपाध्याय,
जीवन सफल करो करके तुम स्वाध्याय ।
आतम को अपनी परखना ।
जय तारण- ----'---------------
तारण तरण है साधु परमेष्ठी,
इनकी शरण से मिलती है मुक्ति और ।
इनकी शरण मे ही रहना ।
जय तारण- ----------------------
तारण तरण जिन धर्म हमारा,
"अंतिम "बनालो इसी को सहारा ।
मिले रत्नात्रय के गहना ।
जय तारण तरण की कहना ।

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