जिनवाणी सुन कर्मो को नाशो जिनवाणी----2
नाशो जिनवाणी सुन कर्मो को आज,
कि जैन धर्म मिल गया- -हो--कि जैन धर्म- ---------
हो मिला तारण गुरु का दरबार,
कि जैन धर्म मिल गया-----हाँ--कि जैन धर्म- ---------
जिनवाणी सुन---------

षटअवश्यको को तू धार ,कि जैन----- हाँ-----कि जैन --------
अपनी आतम का कर उद्धार, कि जैन धर्म- --------हाँ----कि जैन धर्म- ------------
जिनवाणी सुन- -------

मोह-राग को बुरो है झाँसी,
जिनवाणी सुन कर्म को नाशो---हो नाशो जिनवाणी सुन कर्मो को आज- --कि जैन धर्म- -----हाँ---कि जैन धर्म- -----
जिनवाणी सुन -----------

सात तत्व छः द्रव्यो को,
नौ पदार्थ पंचास्तिकायों को,
जान कर जान लो संसार रे संसार,
भेदज्ञान को हृदय मे धार- --कि जैन धर्म- ------हाँ-------कि जैन- -----
जिनवाणी सुन------

सौभाग्य तिरो है आयो रे,
कि तूने नरतन पायो रे।
अष्ट मूल गुण को पालो,
सातों व्यसनो को त्यागो।
ये है मुक्ति का आधार रे आधार,
"अंतिम " अपनी तू सुरत सम्हार- --कि जैन धर्म- ---------हाँ-----कि जैन धर्म- ----
जिनवाणी सुन- ---------

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