तेरे द्वारे पे सुख चैन मिल जाता है।
जग को तारण मुझे महावीर नजर आता है ।।
मेरे गुरुदेव तारण ,आया मै तेरी शरण---2
जग जीव को तारे जो,वो द्वार नजर आता है ।
तेरे द्वारे पे----------------

इस द्वार से कभी कोई खाली नहीं जाता है ।
जग को तारण ,मुझे महावीर नजर आता है
तेरे द्वारे-----------

चैन मिला ज्ञान मिला, ध्यान लगा रे ।
मुक्तिपुर जाने का ,अरमान जगा रे।।
अब तो कही मान लो, तारण गुरु की ।
वे ही है सच्चे ,आतम के पारखी ।।
इनकी शरण जो रहे,
भवसागर वो तरे ।
अब तो आतम मे ही भगवान नजर आता है ।
जग को तारण- --------------
तेरे द्वारे पे----------

अब तो लगे ज्ञान से, नहाता रहूँ मै ।
आतम ही आतम के गीत, गाता रहूँ मै।।
मै भी त्रय योग को, संभाल जो पाऊ।
अपने मे इस कदर,मै डूबता जाऊ।।
अपने मे जाँऊ समा ,
कुछ भी हो ना जहाँ ।
"अंतिम "ज्ञानानंद को क्यो विसराता है ।
जग को तारण- ------------
तेरे द्वारे------------
मेरे गुरुदेव तारण- --------
जग जीव को तारे--------
जग को तारण- ---------

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