वेतवा के तट पर ठाडे मà¥à¤¨à¤¿à¤°à¤¾à¤œ ।
नगन दिगंबर है जग के सरताज ।।
ममल à¤à¤¾à¤µ को धरकर ,
करते करà¥à¤®à¥‹ से दंगल ।
वियावान जंगल मे,
कर रये है मंगल ।।
अपनी आतम के उनने,
सà¥à¤§à¤¾à¤°à¥‡ सब काज।
नगन दिगंबर- ----------
शांत छवि तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€,
लगे मनहारी ।
महावीर के लघॠननà¥à¤¦à¤¨,
करे शिवपà¥à¤° की तैयारी।
सारी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ करती है,
देखो इन पर नाज ।
नगन दिगंबर- -----------
यथा नाम तथा गà¥à¤£,
गà¥à¤£ शोà¤à¤¿à¤¤ नाम ।
तारण तरण तà¥à¤®à¤¨à¥‡,
सà¥à¤§à¤¾à¤°à¥‡ सबके काम।
गà¥à¤°à¥à¤µà¤° तूने ही रखी,
सारे जग की लाज ।
नगन दिगंबर- ---------
à¤à¤¸à¤¾ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ लगाया तà¥à¤®à¤¨à¥‡,
पà¥à¤°à¤—टे तीनो जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ।
वीर पà¥à¤°à¤à¥ का मारà¥à¤— बताकर,
जग का कर दिया कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ ।
"अंतिम " तू सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¤—वान है ,
कह गये योगीराज ।।
नगन दिगंबर- ---------
वेतवा के तट- ------------