बेतवा तट के योगी रहू तेरी शरण,
ममल सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ मे रहने वाले,
करते आतम रमण ।
चारो गतियों मे बाबा हम खूबई à¤à¤°à¤®à¤¾à¤ ,
कà¤à¥€ नरक,कà¤à¥€ तिरà¥à¤¯à¤‚च गति उर सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ो तक हो आये ।
अब जामन मरण निबारूगा,
करके समà¥à¤¯à¤• धारण ।
वेतवा तट- ---------------
समà¥à¤¯à¤• दरà¥à¤¶à¤¨ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ चरण ही,
है मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ का दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾à¥¤
पंचम काल मे à¤à¤Ÿà¤•à¥‡ जीवो को,
तूने दिया है आन सहारा।
तू ही तो करता है बाबा,
सारे दà¥à¤–à¥à¤–ो का हरण।
वेतवा तट- -----------------
तेरे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ खडे है कब से,
समà¥à¤¯à¤• दरà¥à¤¶ करा दे ।
कितनो को है तारा तूने,
हम को à¤à¥€ तिरा दे।
बडी मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² से मिले है
बाबा तेरे"अंतिम "को चरण।
वेतवा तट- ---------------