मुक्तक

जो रात गई सो रात गई वह रात ना वापिस आती है ।
जो बात गई सो बात गई वह बात ना वापिस आती है ।।
जो प्रात गई सो प्रात गई वह प्रात ना वापिस आती है ।
बरात गई दुल्हन लेकर वह बारात ना वापिस आती है।।

भजन

बुला रही है तुमको जिनवाणी
ओ भटके हुये चेतन सुनले आकर
श्री जिनेन्द्र की वाणी ।
सोने वाले सोने वाले,
भव भव मे तुम रोने वाले ।
आजा झूठे जग को छोड कर,
ओ सोने वाले ओ सोने वाले
सोने वाले---------

तारण तरण गुरु कहते है ,
तू तो सिद्ध समान है ।
इस कथन को जो मानता है,
पाता पद निर्वाण है ।।
वे सहारो का सहारा ,
तू ही तो कहलाता है ।
तारण तरण बन के तू ,
सारे जग को तिराता है ।।
तारण पथ पर चल पडो तुम,
सारे जग को छोड कर ।
ओ सोने वाले---------------

पर के लिये तूने जीवन गंवाया,
पर तेरे लिये कोई काम ना आया।
झूठी है चाहत इनकी ये जग है झूठा,
तूने भरोसा किया इनने है लूटा ।।
ऑखो से ऑसू बहते रहेगे ,
ये जग झूठा है सब कहते रहेंगे।
कपडें भी उतार लेगे ,
जायेगा जब इनको छोडकर।
ओ सोने वाले -----------------
आजा झूठे जग -----------------
ओ सोने वाले -------

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