तेरे द्वारे पे नाचे लोग ,
तत्तक थैया थैया ।
जयकारा लगाओ जोर से,
खिले ज्ञान की कलियाॅ।।
स्वर्ण का दीप कपूर की वाती,
हाथो मे हे ऑरतियाॅ।
तेरे द्वारे पे नाचे लोग---------

तू ही तो गुरु तारण है ,
तूने जगाया मेरा चेतन है ।
तेरे चौदह ग्रंथो से,
महका महका मेरा जीवन है।।
भक्त आये है तेरे द्वार पे,
इनकी ले लो खबरियाॅ ।
गुरु द्वारे पे नाचे -------------
स्वर्ण का दीप ------------

पुष्पावती तेरी जन्म भूमि,
सेमरखेडी मे तपधारा।
सूखा जी मे तारणपंथ बताया,
निसई जी मे छोडा संसारा।।
भव्यो के मन मे बसने वाले,
आज ऊतारु ऑरतियाॅ।
तेरे द्वारे पे नाचे-----------
स्वर्ण का दीप कपूर -------------


जन जन मे आत्म ज्योत जलाई ,
वीरा की वाणी तुमने सुनाई ।
शरण मे अपनी बनाये रखना ,
" अंतिम " ने यह अर्जी लगाई ।।
चौरासी मे घूम के आया,
अब पाई है तेरी छैय्या ।
गुरु द्वार पे नाचे -----------
स्वर्ण का दीप ------------
तेरे द्वारे पे नाचे ----------------

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