गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने इस जग को
कà¥à¤¯à¤¾ राह दिखा दी है ।
गà¥à¤°à¤‚थो मे दिया अमृत
ये हम पर दया की है ।।
गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने इस- --------------
घूमा है चौरासी मे,
वेहोश रहा बेखबर ।
कितने नरà¤à¤µ मिले ,
संà¤à¤²à¤¾ ना उनको पाकर ।।
करà¥à¤®à¥‹ के अधीन रह कर ,
कà¥à¤¯à¤¾ गति बना ली है ।
गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने इस जग- -------------
जिन धरà¥à¤® के जैसा,
धरà¥à¤® मिलता है कहा सबको ।
जिनदेव मिले तà¥à¤®à¤•à¥‹ ,
नही जाना है उनको ।।
अदेव कà¥à¤¦à¥‡à¤µà¥‹ मे ही ,
कà¥à¤¯à¥‹ उमर गवाॅ दी है ।
गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने इस जग- --------------
निरà¥à¤—à¥à¤°à¤‚थो के जैसा ,
नहीं गà¥à¤°à¥ कोई होगा ।
केवल वीतरागी ही ,
सचà¥à¤šà¤¾ गà¥à¤°à¥ होगा ।।
à¤à¤¸à¥‡ तारणहारे को ,
डोर थमा दी है ।
गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने इस जग- -------------
चौदह गà¥à¤°à¤‚थ है à¤à¤¸à¥‡ ,
जैसे छोटी सी गागर ।
उनमें जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤°à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ ,
जैसे जल से महासागर।
गà¥à¤°à¥ तारण तरण ने तो,
जिनवाणी सà¥à¤¨à¤¾ दी है ।
गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने इस जग- ---------------
ये तो वीतरागी है ,
नही राग का अंश कहीं।
कहीं रागी कहीं दà¥à¤µà¥‡à¤·à¥€ ,
à¤à¤¸à¥€ शरण है और नही।।
अपने मे ही रहना "अंतिम ",
यही गà¥à¤°à¥ ने सला दी है ।
गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने इस जग- --------------
गà¥à¤°à¤‚थो मे दिया ----------------
गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने इस जग- -----------