क्या तुम्हे पता है ये तन धन ,
कुछ काम ना आने वाले है ।
ना मोह बढाना तुम इनसे ,
ये दुरगति देने वाले है।।
क्या तुम्हे -------------


ये धन दौलत का मोह भी ,
कितना पागल कर देता है ।
सत्य धरम से भटकाकर ,
नरको को पहुँचा देता है।
तारण तरण गुरुवर ही तो,
सन्मार्ग दिखाने वाले है ।।
श्रृद्धा से शीश झुकाना इनको,
ये मुक्ति को देने वाले है ।
क्या तुम्हे --------------------


है आतम वही ये तन है नया ,
इनसे संयोग तेरा है ।
अभिमान ना करना तू इनका,
ये भी कुछ ना तेरा है ।।
ये झूठा मोह ही तो हमको ,
कुमार्ग मे लाने वाला है ।
ना भरमाना "अंतिम " इनमे,
ये भव को बढाने वाले है ।
क्या तुम्हे पता ------------------

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