हमने दुख सहे है ,
कर्मो को पाल के।
इक दिन बनेंगे वीर हम ,
कर्मो को टालके।।
बंधन को तोड दो तुम,
मोह माया जाल के ।
अहिंसा के पुजारी है हम ,
त्रिशला के लाल के ।।
इक इक पग अपना,
रखना सम्हाल के।
कुगरु वैठे है ,
शिकारी के जाल से।।
इक इक पग-----------------
हमने दुख सहे------------

बर्बाद ना हो पावे ,
ये जीवन का बगीचा ।
तारण तरण गुरु ने ,
अपने ज्ञान से सींचा ।।
सद्गुरु की वाणी को ,
ह्रदय मे धार के ।
इक दिन बनेंगे --------------


जग के जंजाल से ,
रखना ना वास्ता ।
मंजिल तुम्हारी शिवपुर,
लंबा है रास्ता ।।
कुगरु कुदेव भटकायेगें,
धोखे मे डाल के ।
इक इक पग ------------------

धन दौलत के जोर पर ,
ऐंठी है ये दुनिया ।
अपनी मौत को भूली ,
वैठी है ये दुनिया ।।
तुम धर्म ध्यान करना ,
काम लाख टालके ।
इक इक पग --------------------

मिथ्यात्व की भूल ,
भूलैया मे ना भूलो ।
संसार इक सपना है ,
इसमे ना तुम फूलो ।।
अब वक्त है सही ,
आत्म ध्यान धार लो ।
आतम का ध्यान धरकर ,
जीवन संवार लो ।।
बंधन को तोड "अंतिम",
तुम माया जाल के ।
इक इक पग ------------------

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