दोहा छंद
परमेषà¥à¤ ी के पाà¤à¤š पद, है सà¥à¤– के आधार ।
धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ धरॠउर नमन करà¥,करत मंगलाचार ।।
ऑचारà¥à¤¯ तारण तरण, है रिदà¥à¤§à¤¿- सिदà¥à¤§à¤¿ के धाम ।
चालीसा जिनका सदा, सिदà¥à¤§ करे सब काम।।
चौपाई छंद
जय गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ तà¥à¤°à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के धारी,
हित उपदेशी जग उपकारी।1।
दà¥à¤– दरिदà¥à¤° उनका मिट जाता,
जो कोई दà¥à¤µà¤¾à¤° तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ आता।2।
गढाशाह जी पिता तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡,
माठवीरशà¥à¤°à¥€ की ऑख के तारे।3।
आकर गरà¥à¤ मे सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ दिखाये ,
तà¤à¥€ नगर मे मà¥à¤¨à¤¿à¤µà¤° आये।4।
दे आहार सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ फल जाना ,
शà¥à¤ लकà¥à¤·à¤£ है मà¥à¤¨à¤¿ ने बखाना।5।
होगा पà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° तेरा,
जो सबके दà¥à¤– को हर लेगा।6।
सà¥à¤¨à¤•à¤° हरà¥à¤·à¤¿à¤¤ à¤à¤¯à¥‡ नर नारी,
जलà¥à¤¦ ही आगई वह घडी पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€à¥¤7।
आई अगहन सà¥à¤¦à¥€ साते नामी,
जनà¥à¤®à¥‡ जग के तारण सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¥¤8।
देवों ने है अतिशय रचाया ,
बजी दà¥à¤¨à¥à¤¦à¤à¥€ ऑननà¥à¤¦ छाया।9।
पà¥à¤·à¥à¤ªà¤¾à¤µà¤¤à¥€ à¤à¥€ धनà¥à¤¯ हो गई,
चारो तरफ थी खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¥… छाॅ गई।10।
पांच वरà¥à¤· के हà¥à¤¯à¥‡ जब तारण,
ऑई पिता पे विपतà¥à¤¤à¤¿ अचानक।11।
राजकोष के कागज जले सारे,
तारण ने जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कर डारे।12।
कोपा तव सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨ शाह पर,
à¤à¤¾à¤—े वहाठसे पà¥à¤¤à¥à¤° को लेकर।13।
गढौला वन मे शà¥à¤°à¥à¤¤à¤®à¥à¤¨à¤¿ देखे,
थे मंतà¥à¤° सिदà¥à¤§ करने को बैठे।14।
मà¥à¤¨à¤¿ ने देखा बालक तारण,
मनà¥à¤¤à¥à¤° सिधà¥à¤¦ हो गया उसी कà¥à¤·à¤£à¥¤15।
वोले जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ है बडा तपसà¥à¤µà¥€ ,
तेज देखकर बात है परखी।16।
यह सà¥à¤¨ मात पिता हरà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡ ,
चले फिर सेमरखेडी आये।17।
गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ बरà¥à¤· के हà¥à¤ जब तारण,
देखा नाना का सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ारोहण।18।
हà¥à¤† वैरागà¥à¤¯ है समकित पाया,
अनितà¥à¤¯ जग यह समठमे आया।19।
à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾à¤°à¤•à¥‹ से विदà¥à¤¯à¤¾ पढते ,
जिनवाणी का चिनà¥à¤¤à¤µà¤¨ करते।20।
कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ मे ही धरà¥à¤® बताया ,
तारण को कà¥à¤› समठना आया।21।
हà¥à¤¯à¥‡ जब इकà¥à¤•à¥€à¤¶ बरष के,
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ वà¥à¤°à¤¤ धारण करके।22।
सेमरखेडी वन मे आये ,
वैठगà¥à¤«à¤¾ मे धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ लगायें।23।
सपà¥à¤¤à¤® पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ ली तीस बरष मे,
किया विहार फिर नगर नगर मे।24।
जात-पात का à¤à¥‡à¤¦ मिटाया ,
सबको जैन धरà¥à¤® बतलाया।25।
कहा जैन नही जनम से पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡,
जैन वही जो धरà¥à¤® को धारे।26।
वोले सात वà¥à¤¯à¤¸à¤¨ को तà¥à¤¯à¤¾à¤—ो ,
अठरा कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं को पालो।27।
यह सà¥à¤¨ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤£ आये,
बचन गà¥à¤°à¥ के सà¥à¤¨ सब हरà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¥¤28।
लाखो शिषà¥à¤¯ बने तव इनके,
सà¥à¤µà¤²à¥à¤ª शाह उर रà¥à¤ˆà¤¯à¤¾ रमन से।29।
करत विहार सूखा मे आये,
चारो तरफ है अतिशय छाये।30।
सूखा चारो तरफ था सूखा,
हर पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ था पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾ à¤à¥‚खा।31।
चरण पडत ही बदल गई काया ,
सूखे कà¥à¤“ं मे जल à¤à¤° आया।32।
हà¥à¤¯à¥‡ अचंà¤à¤¿à¤¤ सब नर नारी ,
वोले महापà¥à¤°à¥à¤· है अवतारी।33।
आतà¥à¤® जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है सबको कराया,
महावीर का मारà¥à¤— बताया।34।
साठबरà¥à¤· मे दीकà¥à¤·à¤¾ धारी ,
à¤à¤¯à¥‡ दिगंबर महावà¥à¤°à¤¤ धारी।35।
कई कठिन उपसरà¥à¤— à¤à¥€ आये,
जहर पिलाया मारने आये।36।
नदी वेतवा मे à¤à¥€ डà¥à¤µà¤¾à¤¯à¤¾ ,
टापू बने है अतिशय राचाया।37।
तीन जà¥à¤žà¤¾à¤¨ उपजे जब तà¥à¤®à¤•à¥‹ ,
देखा वीर के समवशरण को।38।
जागी पांच मतें तव पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€,
चौदह गà¥à¤°à¤‚थ रचे सà¥à¤–कारी।39।
अंत निसई मे समाधी धारी,
जय जय हो गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€à¥¤40।
जय जय हो गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€,
जय जय हो गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€à¥¤
दोहा छंद
तारण गà¥à¤°à¥ का चालीसा,पढे सà¥à¤¨à¥‡ जो कोय ।
सà¥à¤– समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ तà¥à¤°à¤¤ मिले,सफल कामना होय ।।
वीतरागता पूजà¥à¤¯ हो,जिनवाणी को धà¥à¤¯à¤¾à¤¯ ।
कà¥à¤°à¤® से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मारà¥à¤— बने,यह"अंतिम"फल पाय ।।