तर्ज - शहनाईयो की कजा कह रही है - धड़कन

जिनेन्द्र देव की वाणी कह रही है ,
तेरी भव्यता अब नजर आ रही है।
जो जिनवाणी उर तारण गुरु की,
इस कलिकाल मे तूने शरणा गयी है ।

गुरुवर तेरा दर सुहाना लगता है ,
बाकि सारा जग वेगाना लगता है।
इस जग के झूठे है सारे रिश्ते,
अब तो इक तू ही ठिकाना लगता है।।
गुरुवर तेरा - - - - - - - -

आत्मा से बाँध रहा
क्यो कर्मो के ये बंधन ।
तू जाग जा अब तो अरे
ओ मेरे चेतन ।।--- 2

मिल गये है तुझे
अब तो गुरु तारण ।
शुद्धातमा को जानकर
उसमे करो रमण ।।

बडे भाग्य है तेरे जो
तुझको मिला ये तन ।
कबसे जगा रहे है
तुझको गुरु तारन ।।

मिला नरतन मिला नरतन
विषयो मे फिर तू
क्यो तू रमता है ।- - 2
अरे आतम का हित
क्यो नही तू करता है।।
झूठे है इस - - - - - - -
अब तो इक- - - - - - - -
गुरुवर तेरा - - - - - - - -
बाकि सारा - - - - - - - -

मै तेरे द्वारे पे खडा गुरुवर,
देख रहा हू तेरी गली गुरुवर । -- 3
ये नयना कब तुम्हारे दर्शन पायेंगे
भूल के भी हम तुम्हे ना भूल पायेंगे ।।
मुश्किल मुश्किल मुश्किल से
तेरा ठिकाना मिलता है ।
गुरुवर तेरा दर - - - - - - - -
बाॅकि सारा - - - - - - - - - -
झूठे है इस- - - - - - - - - -
अब तो बस- - - - - - - - -

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