करà¥à¤®à¥‹ के बंधन मे ,
आतम ने मचाया शोर ।
आतम को अब जानलो तà¥à¤®---2
इसके सिवा ना कोई ठौर ।
छोड दे मोह के बंधन को ,
थाम ले गà¥à¤°à¥ तारण की डोर ।
गà¥à¤°à¥ तारण के साà¤à¤šà¥‡ वोल--2
डार तू अपने मन पे डोर ।।
करà¥à¤®à¥‹ के बंधन- ---------
अपने को जानने से ,
सरà¥à¤µ सà¥à¤– आ जाते है।
आतà¥à¤®à¤¾ मे रहने से,
करà¥à¤® कट जाते है।।
जिनवर के वचनो पे,
यंकी तो होने दे ।
तेरे अंदर ही à¤à¤—वन है,
समय मत खोने दे ।।
षटावशà¥à¤¯à¤• ना जब तक ,
तà¥à¤® शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤• के पालोगे ।
सोचो तब तक तà¥à¤®,
कैसे करà¥à¤®à¥‹ को टालोगे ।।
हे जिनवर तेरी वाणी,सà¥à¤¨ करके पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€
चल दे शिवपà¥à¤° की ओर-------'करà¥à¤®à¥‹ के------
जिनà¥à¤¹à¥‡ तरना हो वो,
अपनेपन मे ही रम जाते है।
शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ के फूल तो फिर,
आतम मे खिल जाते है ।।
अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को,
वावला दिखता है।
अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹ को,
वावला कहता है।।
ले गà¥à¤°à¥à¤µà¤° मे आ गया,
साॅरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ छोड के ।
तेरा दामन पकड़ लिया,
सारे बंधन तोड़ के।।
तेरे दà¥à¤µà¤¾à¤° पे जो आ जायें,वो अपने मे रम जायें ।
उनको वंदन है कर जोर---करà¥à¤®à¥‹ के बंधन- ------