नदी वेतवा के तीर,
खड़े है तारण वीर ।
दरà¥à¤¶à¤¨ की होड लगी,
लगी है à¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€à¤¡ ।।
नदी वेतवा--------
मà¥à¤¨à¤¿à¤µà¤° खडे है नगन दिगंबर,
नमन करे इनà¥à¤¹à¥‡ धरती व अंबर।
शांत मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ देखो धीर वीर- --नदी वेतवा------
à¤à¥‚ख पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ की फिकर नही है,
रंच मातà¥à¤° परिगà¥à¤°à¤¹ à¤à¥€ नही है।
कर रये है करà¥à¤•à¤¶ शरीर- ------नदी वेतवा ------------
समà¥à¤¯à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ चरितà¥à¤° के धारी,
माथा टेक रही चरणो मे दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ सारी।
जाà¤à¤š पाà¤à¤¤ के à¤à¥‡à¤¦ को चीर- -------नदी वेतवा-----------
खडगासन मे आतम धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ लगावें,
मति शà¥à¤°à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से सब कà¥à¤› वतावे।
मेट रहे करà¥à¤® लकीर--------नदी वेतवा -------
चौदह गà¥à¤°à¤‚थ है इनके सà¥à¤–कारी,
जिनवाणी की जिनमे बतियाठहै सारी।
"अंतिम"की मेटो à¤à¤µ पीर- --------नदी वेतवा- -------------