नदी वेतवा के तीर,
खड़े है तारण वीर ।
दर्शन की होड लगी,
लगी है भारी भीड ।।
नदी वेतवा--------

मुनिवर खडे है नगन दिगंबर,
नमन करे इन्हे धरती व अंबर।
शांत मुद्रा देखो धीर वीर- --नदी वेतवा------

भूख प्यास की फिकर नही है,
रंच मात्र परिग्रह भी नही है।
कर रये है कर्कश शरीर- ------नदी वेतवा ------------

सम्यक ज्ञान चरित्र के धारी,
माथा टेक रही चरणो मे दुनिया सारी।
जाँच पाँत के भेद को चीर- -------नदी वेतवा-----------

खडगासन मे आतम ध्यान लगावें,
मति श्रुत ज्ञान से सब कुछ वतावे।
मेट रहे कर्म लकीर--------नदी वेतवा -------

चौदह ग्रंथ है इनके सुखकारी,
जिनवाणी की जिनमे बतियाँ है सारी।
"अंतिम"की मेटो भव पीर- --------नदी वेतवा- -------------

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